Friday, February 9, 2018

अभी कुछ दिन ही तो बीते हैं

निगाहों में तेरी ज़िंदगी अपनी ढूँढते है
जीने के लिए तेरी बाहों का आसरा चाहते हैं
दिन कुछ ही गुज़रे है दूर तुझसे
फिर भी ना जाने एक अरसा क्यूँ बिता लगता है 

ज़ुस्तज़ु है मेरी या है कोई आरज़ू
कि आँख भी खुले तो तेरी बाहों में 
और कभी मौत भी आए तो 
आसरा तेरी निगाहों का ही हो

हर लम्हा हर पल ज़िंदगी का
दिल बस तुझे ही ढूँढता है 
कि जिस ओर भी निगाहें जाती है 
अक्स तेरा ही इन मंज़रों में दिखता है

निगाहें हर ओर ढूँढती हैं सिर्फ़ तुझको
कि अब तो नींद भी आती है तेरे ही आग़ोश में 
जीने के लिए अब तेरी बाहों का आसरा चाहते हैं
खुदा से ख़ुद को मिलाने के लिए तेरा साथ चाहते हैं 

हर लम्हा हर पल दिल बस तुझे ही ढूँढता है 
आरज़ू है मेरी कि आँख भी खुले तो तेरी बाहों में
अभी कुछ दिन ही तो बीते हैं दूर तुझसे 
फिर भी ना जाने एक अरसा क्यूँ बिता लगता है

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