Sunday, June 11, 2017

शिव से पूछो क्या है मुझमें

शिव से पूछो तुम क्या है मुझमें 
क्यों आज शिव है मुझमें 
हाला मैं क्या पी आया जग की 
क्या बन बैठा हूँ शिव की प्रतिमा 

तन्द्रा ना करो भंग मेरी तुम 
ना करो मुझसे अब कोई छल 
कि कब मैं शिव बन जाऊं 
कि कब मुझमें बस जाए शिव 

हाला मैं बहुत पी चुका  जीवन में 
बहुत सह चूका मैं जीवन मंथन 
नहीं अब स्वयं पर वश मेरा 
कि शिवधुनि रमा चूका हूँ मैं अब 

बहुत छला है मुझे मेरे जीवन ने
बहुत सी हाला भी मैं पी चुका
कि अब और नहीं वश स्वयं पर मेरा 
नहीं ज्ञात कब हो मेरे तांडव से सवेरा 

शिव से पूछो क्या है मुझमें 
क्यों बसा है आज शिव मुझमें 
क्यों प्रतिमा बन बैठा हूँ मैं शिव की 
क्यों प्रचंड है महिमा आज तांडव की 

No comments: