Thursday, March 27, 2014

तेरी चाहत

तेरी चाहत में ज़िन्दगी से बेज़ार हो चले
तेरे चेहरे के नूर में खुद को जुदा कर चले
फिर भी तेरी चाहत की खदाई ना निभा सके
एक भी पल तुझे खुश ना रख सके
सदमा रहेगा ता उमरा बेरूखी का
जाम जब भी पीयेंगे हम आब-ऐ-तल्ख़ का
तेरी चाहत को जो रुसवा किया है 
सजा-ऐ-दोजख का रुख किया है
तेरी चाहत में ज़िन्दगी से बेज़ार हो चले
तेरे चेहरे के नूर में खुद को जुदा कर चले
फिर भी तेरी चाहत को रुसवा ही किया है
वादा-ऐ-मोहब्बत खिलाफी ही किया है 

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