Monday, February 17, 2014

धरा का मंजर

आज अम्बर में उड़ते
मंजर यूँ सामने आया
देखा का धरा का जो रूप
ह्रदय आनंदित हुआ

बादलों की चादर ओढे
अम्बर से मैं चला
चादर ज्यों हटती
देखता धरा पर तुषार धवल

तुषार धवल की परतों से
दिखती वृक्षों की शाखाएं
वृक्षों की शाखाओं तले
दिखती मानव बस्ती

प्रकृती और मानव की रचना के
देख मेल को ह्रदय उल्लासित हुआ
देख अम्बर से तुषार धवल
बादलों में ह्रदय हुआ चकित