Thursday, November 28, 2013

Relations - रिश्ते

From home to school to playground
We find relations all around
They make an entry in professional surround
To most of them we are bound

We are born to live with relations
We are born to respect those relations
Some relations are associated with birth
Other’s that we build as part of life

Relations guide our lives during tough times
They add love and peace most of times
Some relations we are born with
Some relations we build in our life

Some may say relations are because of us
I feel we are known by relations we have
Relations are not known by us,
Rather we are known by their strength

Stronger the relations, merrier is the life
Some relations are associated with birth
Some we build as part of life
But, surely our relations identify us…..
…………….We don’t identify our relations




घर-बाहर, गली-चोबारे, रिश्तों का अम्बार है
जिस ओर नज़रें फेरूँ रिश्तों का संसार है
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर रिश्तों का गुलनार है
जीते मरते यूँ ही, हमें जीना रिश्तों को है

कुछ रिश्ते जुडे पैदाइश से
कुछ तो जोड़े हमें सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी में
हालात जो भी हो सामने हमारे
इन रिश्तों को है हमें निभाहना

इन्ही रिश्तों से है ज़िन्दगी हमारी
हमसे नहीं ये रिश्ते चढ़ते परवान
पाक जितना हो रिश्ता,
होती हमारी ही इज्ज़त अफजाई है

रिश्ते हमसे नहीं जाने जाते
हम जाने जाते हैं उनकी बाबत
कुछ रिश्ते जो जुड़े पैदाइश से
तो कुछ हमें जोड़े अपनी जिंदगी से||

Friday, November 15, 2013

जीवन से जीवन का नाता

जीवन से जीवन का है ये कैसा नाता
नहीं संसार में जो इसको समझता
हर पल हर क्षण लेता एक परीक्षा
कैसे कोई पूरी करे जीवन की समीक्षा

हर रिश्ता हर नाता बंधा अलग डोर से
रिश्तों के द्वन्द में जीवन उलझता हर ओर से
कैसे सुलझाए कोई रिश्तो की ये गुत्थी
दर लगता है कि कहीं खो ना दे अपनी हस्ती

कच्चे धागों से बंधी कर रिश्ते की डोर
उसपर चलता है जीवन का हर दौर
रिश्तों से जीवन का है ये कैसा नाता
नहीं संसार में कोई जो इसको समझ पाता

हर पल हर रिश्ता लेता जीवन परिक्षा
हर जीवन बीत जाता करते ये समीक्षा
कैसे जीयें जीवन संभाल रिश्तों की डोर
कैसे बीताये कोई जीवन के ये कठिन दौर||

Saturday, November 9, 2013

बिन तिहारे

बिन तिहारे ये जग सूना 
बिन तिहारे ये संसार अधूरा
जो मैं जग में ढूंढा किया
तिहारे चरणों में जा मिला

मात-पिता तुम मोरे
बिन तिहारे ये संसार अधूरा
जनम से चला संग तिहारे
अधर खोल सीखा बोलना

कैसे भूलू वो बिसरी बातें
कैसे भूलू वो बिसरे दिन
गोद में तिहारी निकला बालपन
आँगन में तिहारे गुजरा बचपन

सिखा सारा जीवन तुमसे
अब है बारी मेरी
सेवा चाकरी करूँ तिहारी
खुशियाँ चरणों में रखूँ मैं सारी

दिन रात मैं फरक न जानू
सिर्फ अपना संसार सवार्रों
आज कुछ चहुँ तिहारा
तो चाहूँ केवल आशीर्वाद

संग मेरे अपना जीवन निहारो
अपने चरणों में मोहे धर लो
मात-पिता तुम मोरे अनमोल
बिन तिहारे कैसा मेरा जग में मोल||

Sunday, November 3, 2013

Separation

If the thought itself is scary
how the moments would vary
its not something for which we marry
thoughts of it are not to carry

Separation is not destination
it is something but not mission
its a fruit from the word treson
it should never be in vision

Traitors think of Separation
it stems out of desperation
it should have no denomination
when you are in love & relation

Separation is the word for non-believers
it is the saga of non-affirms
it is for those who don't want to be together
for they are those who are relation breakers