Saturday, June 15, 2013

पिता कहने का अवसर दो

क्यों तू मुझे मारे, हूँ मैं तेरा ही अंश
मेरे कारण ही चलते हैं ये वंश
बेटी, बहन, पत्नी, माँ बन मैं रहती
घर आँगन को मैं रोशन करती

ना मार मुझे तू, हूँ मैं तेरा ही अंश
मार मुझे ना बन तू एक कंस
बन कली तेरा ही आँगन महकाऊँगी
मीठी अपनी बोली तुझे मैं सुनाऊँगी

क्यों तू चाहे मुझे मारना
कौन देता है तुझे ऐसी प्रेरणा
बाबुल मेरे ना मार मुझे 
नन्ही परी हूँ मैं तेरे आँगन में

सुनती हूँ जब मैं ताने माँ की कोख में
डर जाती हूँ अपनी बली चढ़ने से
ना मरो मुझे, मुझे जनम लेने दो
तुमको पिता कहने का मुझे अवसर दो 

बेटा चाहिए तुमको अगर
तो बन बेटा सारी जनम सेवा करूंगी
तुम्हारी हर चिंता मैं बाँट लूंगी
सारा जनम तुम्हारे सुख पर वार दूँगी

बेटी हूँ तो क्या हुआ
अंश तो मैं तुम्हारा ही हूँ
मारो मत मुझे, बस मुझे जीने दो
कली बन तुम्हारे आँगन में महकने दो||



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