Wednesday, May 1, 2013

सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी

एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी में
एक तलाश फिर भी अधूरी सी है
तू हिस्सा है हमारी ज़िंदगी का
फिर भी तुझसे ये मुलाक़ात अधूरी है

जान कर भी तुझे जान ना पाए हम
तुझे चाह कर भी समझा ना पाए हम
एक मंजिल तय की हमें तुझे पाकर
एक मंजिल अभी तय करनी है तेरे साथ

साथ तेरे अब उम्र बसर करनी है
एक उम्र जीनी है तेरे साथ
कोशिश-ऐ-ज़िंदगी होगी तेरी हर ख़ुशी
कि तेरी एक ख़ुशी अब भी अधूरी है

एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी का
कि एक सफ़र हमारा अभी बाकी है
जान कर भी ना जान पाए हम खुद को
कि खुद को समझना अभी बाकी है||

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