Thursday, May 30, 2013

IPL 6 Controversy

Looking beyond the game
One where we see a lot of Shame
I wanted to understand the Administration
Where everyone is taking out the frustration

The Chief who is liable to bow
Under the light of pressure he is supposed to go
The Office bearers where are alleging
Misshapes are something that they are disowning

The game that has lead the nation to shame
Where everyone has someone else to blame
Today is marred with a lot of controversy
To make it up there is no one with a policy

The game today is surrounded by polity
The game that once was lauded for quality
Politicians are up with arms of words
Everyone is ready to drag their own swords

But what happened has only put us to shame
For once again greed took over the game
Bookies are out there playing with money
Top honchos are not less than being crooney 

अंतर्मन का द्वंद्व

बिन बादल इस पहर लगी बरखा की झड़ी
अंतर्मन को जाने क्या गया चीर
नैनो से ढलक गया जाने क्यों नीर
प्रकट कर गया जैसे वो ह्रदय की पीड

जाने कौन सी गाथा जिसमें उलझा चित्त
गया जिसमें जीवन का सपना मिट
ना जाने कौन सी बेला है कि टूटा हर सपना
भूल गया जिस पल मानव मोल ही अपना

बिन बादल जो बरसा आज पानी
सर्द कर गया जीवन संध्या
पीड उभर आई कोई जानी अनजानी
कर गयी कुछ अनमोल विचारों की ह्त्या

द्वंद्व मचाया इस बरखा ने कुछ ऐसा
सागर मंथन से हलाहल निकला हो जैसा
गटक इस हलाहल को चला मानव जीने
कर निश्चय अपने ही नैनों के नीर को पीने||

Saturday, May 25, 2013

चंद छंद - ३

चिंता की चिता में जलता है जीवन का दिया
उसपर मौत को बढ़ती डगर है अंधकारमय
कैसे जिए तिल तिल इस पाशविक संसार में
जहां हर पल भय सताता है जीवन राह में||
-----------------------------------------------------
चिता जीवन की अब बन रही चहुँ ओर
नहीं मानव जीवन का कहीं कोई ठोर
ठिकाना नहीं जहां रहे मानव शान्ति के बीच
मौत का तांडव हर डगर पर रहा जीवन को भींच||
-----------------------------------------------------
चिंता जीवन की कर जी रहा है मानव
संसार में जीवन प्रलोभन बढ़ा रहा है दानव
धरा को सींच रहा है रक्तपान से आज हैवान
दर कर बैठा है भगवान् राज कर रहे शैतान||
-----------------------------------------------------
कोडियों के मोल बिकता है आज आत्मसम्मान
लाज बेच बेच बन रहे हैं सब धनी और जगवान
ना कोई संकोच है कि समय आज है इतना बलवान
जित देखूं दीखे मुझे गधे बैठे बन बलशाली पहलवान

Tuesday, May 21, 2013

चंद छंद - २



उजड़ा अगर बसना चाहे तो उसे बसा
निर्माण में अगर द्वंद्व है तो उसे जगा
चाह है अगर तुझमे बसने की है आदम
तो उठ और नाश की प्रवृत्ति से जा टकरा||

------------------------------------------------------

अँधेरी रात में दिवा जलाना है तो हे आदम
उठ तू प्रकृति के तुफानो से लड़ जा
अगर है तुझमे इतना ही दम
तो उठ अपनों को साथ ले अपना हर कदम बढ़ा||

-------------------------------------------------------

तुफानो से अगर तू डरता है हे आदम
तो अपने घर के अँधेरे से दोस्ती कर
गर घर के अँधेरे से तू डरता है
तो उठ और तुफानो से टकराने का साहस कर||

Monday, May 20, 2013

एक बार तू मुस्कुरा दे

है ग़मगीन बहुत आलम-ऐ-ज़िन्दगी
फिर भी कर रहे हम खुदा कि बंदगी
कि खुशियाँ वो मेरे दामन में भर दे
कि मुस्कराहट वो तेरे चेहरे पर भर दे

गम के इस आलम में तो हम जी लेंगे
ग़मों से भरे ज़िंदगी के कसीदे भी पढ़ लेंगे
कि गर तुम एक बार मुस्कुरा दो ऐ हंसीं
हम दर्द को अपने सीने में ही दफ़न कर लेंगे

ग़मगीन गर आलम है तो ऐ हंसीं
एक बार जरा मुस्कुरा आलम को हंसीं कर
अपने जेहन में दबी हस ख़ुशी को तू
अपनी मुस्कराहट से एक परवान कर

है ग़मगीन बहुत आलम-ऐ-ज़िन्दगी
कि इंतज़ार है इन्हें भी तेरी मुस्कराहट का
ग़मों से भरे इस आलम में गर तू मुस्कुरा दे
तो ऐ हंसीं इस गम को हम दवा समझ पी लेंगे||

Thursday, May 9, 2013

Politics & Politicians

Often wonder what is it
is it an occupation for corruption
is it a field for power consumption
or is it a game of accusation

Often wonder who engage in it
are they the unemployed with no work
are they the one's who love to live in dark
are they the one's who love to sit and bark

Often wonder what is the main cause
is it to provide governance and facilities
is it the act of ensuring public safety
is it the field to ensure basic food and amenities

Though I tried to find out the answer
never got that success, was always left to wonder
books point at some ideal situations
but practicality just leads to the state of politicians

Sunday, May 5, 2013

चीन की घुसपैठ

लद्दाख में चीन की घुसपैठ पर कुछ पंक्तियाँ
--------------------------------------------

चीन से आया जो घुसपैठिया
उसको लद्दाख में घर बनाए दो
घर जो उसने बनाया वहाँ
सरकार को बात करने दो

अफसरों को और फौजियों को
चुप रह सहने की सलाह दो
नेताओं तो इसपर राजनीति करने दो
बाबुओं को इसपर थोडा सोचने दो

मंत्रीजी को फिर भी चीन जाने दो
चीन से आया जो घुसपैठिया
उसकी धमकियां देश को बताया करो
घुसपैठिये से मोहब्बत और प्यार करो

उसने अरुणाचल में हाहाकार मचाया
अब फिर एक बार लद्दाख में घुस आया है
फिर भी सरकार तुम चीन की सैर करो
और चीनियों से मिल देश की अस्मिता बेचा करो||

ज़िन्दगी का एहसास

ज़िन्दगी में प्यार का
प्यार में तकरार का
तकरार में चाहत का
चाहत में मोहब्बत का
अपना ही एक सिला होता है

मोहब्बत में जुदाई का
जुदाई में दर्द का
दर्द में चाहत का
चाहत में ज़िन्दगी का
अपना ही एक जज्बा होता है

जज्बातों की इस महफ़िल में
शुमार जब तुम्हारा खुमार हो
तुम्हारे खुमार से भरे पलों में
जब हर पल तुम ही तुम हो
उस हर पल का अपना एक सिला होता है

तुम्हारे खुमार में जब तुम्हारा प्यार हो
तुम्हारे प्यार में जब तुम्हारा इकरार हो
तुम्हारे साथ बिताए लम्हों में
तुम्हारी चाहत भरी निगाहों में
तुम्हारे साथ हर पल में ज़िन्दगी का एहसास होता है||
---------------------------------------------------------

कुछ लम्हात ज़िन्दगी के ऐसे होते हैं कि उनमें जिए जज़्बात अपने आप में एक कलाम बनते से जाते हैं| कुछ चुनिन्दा ऐसे पलों से भरी ज़िंदगी को मैंने पेश करने की कोशिश की है| यह कलाम का हर हिस्सा अपने आप में एक कलाम की तरह पढ़ा जा सकता है......ज़िन्दगी बस ऐसे ही हंसीं लम्हों से गुजरती रहे...यही इल्तेजा ऊपर वाले से है||



I See My World in You

Walking in the grass with my shovel
I dug through life to find a vowel
A vowel that would help get peace
Reconstruct life from its every piece

Rubbing off everything from life's slate
Search of love made me land in this state
I always thought its never too late
One can fight the destiny to control the fate

But search of love got me to this juncture
Life takes all that make it look ruptured
You are my only hope in this race
You are the only one who can help my case

Not sure why my anger on destiny doesn't go away
It just makes my mood swing absurd sway
I know it hurts you all the times
But you are my only hope to let life's lyrics rhyme

I can only beg and plead to solve my life's mystery
For I have a very deep and sad history
You are though my present and my future
I trust you for you have my life to nurture

Shadows of past are haunting me time and again
What they bring to me is only pain
I wanna cry a loud but can't find that rain
Without your support I don't thin I would have any gain

Please be by my side to hold me hard
Please help me shuffle and win life's game of card
I can't promise the world to you 
But can say that I see my world in you!!


Saturday, May 4, 2013

एक खबर से दबी दूसरी ख़बर

सरबजीत सिंह की मृत्यु ने देश तो झंकझोर कर रख दिया, और इसपर मेरे एक मित्र अनूप चतुर्वेदी ने एक कविता लिखी....जिसको मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ|  किन्तु उनकी कविता ने मुझे चंद पन्तियाँ लिखने पर प्रेरित किया, जो उनकी कविता के बाद आपके लिए प्रस्तुत हैं -

अनूप चतुर्वेदी की कविता -


बाँट रहे वो लाखों में, चल हम भी करोड़ दे आते हैं
किसी मजबूर की मजबूरी का तोल मोल कर आते है
"
देश का बेटा" कहने वाले तब कैसे मौन रह पाते थे
रिश्तेदार जब इसी बेटे के दर दर पर चिल्लाते थे

देखो वो मर जाएगा - बहन रो रो कर कहती थी
पर दर्द ऐसे मासूमों का सिर्फ सीमा रेखा सहती थी अच्छे इलाज़ का झांसा देते पर "ना पाक" उनके इरादे थे
इधर हमारे गण मन जन भी सिर्फ टी वी तकरार चलाते थे

और वो चुप नहीं है आज भी , घडियाली आंसू बहाते है
हमारी जेलों में जब पाक मजबूर पछताते हैं काश उस दिन हमको इंसानों की सीमा साफ़ दिख पाती तो
हिन्द पाक की पुलिस - जासूस नहीं कह पाती तो

हम दो देशों की बाड़ जाल में नहीं फंस पाते थे
ना इनके उनके नेता हमें शहीद बतलाते थे सब को जीतने वाला सर्वजीत इन देशों से हार गया
यू ऐन के मानवता मुखौटे को सरे आम धिक्कार गया

अभी सैंकड़ों और हैं , दोनों ओर जो रहम रहम चिल्लाते हैं
दोनों देश की जनता से न्याय की उम्मीद लगाते हैं क्योंकि सिर्फ सलाखें ही सह सकती है, "सर्व" के चीत्कार को
हम को , उनको और हमारे परिवारों की करुण पुकार को

----
सर्व और हम, जो दोनों तरफ बंद हैं

मेरी चंद पंक्तियाँ और उनका मर्म - 

करते थे वो बातें केवल, मन तुम्हारा बहलाने को
एक बात को बढ़ा चढ़ा कर इतना करते
सिर्फ ध्यान तुम्हारा बाटने को....
एक आवाज़ तो तुम सुन चुके हो
पुकार एक और भी सुनते जाना
माँ के लाल की लाश जो तुम ढोते हो
जरा माँ की लाज भी बचाते जाना

(सरबजीत की मृत्यु पर तो सब बात कर रहे हैं....लद्दाख में चीन की घुसपैठ किसी को नहीं दिख रही) 

Wednesday, May 1, 2013

जीवन चैना

कित जाऊं मैं तोहे ढूँढने
कित जाऊं मैं तोहे पाने
बीते जीवन के सब रैना
छुपे हो कहाँ ओ मोरे चैना

बिन चैना ये जीवन सूना
सूनी बगिया घर भी सूना
काट खाए मोहे बेचैनी
भूली बिसरी है जीवन की कहानी

ना जाने कहाँ खो गए तुम चैना
ना जाने कैसे बदल गए ये रैना
कित ढूंढूं कित दिसा मैं जाऊं
कैसे जीवन के मैं ये पल निभाऊं??

सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी

एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी में
एक तलाश फिर भी अधूरी सी है
तू हिस्सा है हमारी ज़िंदगी का
फिर भी तुझसे ये मुलाक़ात अधूरी है

जान कर भी तुझे जान ना पाए हम
तुझे चाह कर भी समझा ना पाए हम
एक मंजिल तय की हमें तुझे पाकर
एक मंजिल अभी तय करनी है तेरे साथ

साथ तेरे अब उम्र बसर करनी है
एक उम्र जीनी है तेरे साथ
कोशिश-ऐ-ज़िंदगी होगी तेरी हर ख़ुशी
कि तेरी एक ख़ुशी अब भी अधूरी है

एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी का
कि एक सफ़र हमारा अभी बाकी है
जान कर भी ना जान पाए हम खुद को
कि खुद को समझना अभी बाकी है||

माँ तो माँ है

कासे कहूँ मैं अपनी विपदा
कासे कहूँ मैं अपनी पीड़ा
ममत्व तो ममत्व है 
कासे कहूँ मैं उसका महत्व

माँ से मैं जुड़ा हूँ भावों में
माँ से में करता हूँ अपनी बातें
कासे समझाऊं तोहे मैं 
माँ से है मेरा अपना नाता

का कहूँ तोसे मैं अपनी व्यथा
ना तोहे समझनी ये गाथा
माँ तो माँ है, है वो अपनी
काहे इसमें तोरी मोरी करनी

माँ तो माँ है, है वो अपनी
उसके ममत्व ने ना कोई सीमा जानी
समझ तू अब मोरी पीड़ा
सोच में तोरी है मोरी विपदा

ना कर तू ये मनमानी 
न कर गहरी तू सोच अपनी
समझ महत्व इस रिश्ते का
माँ से मोह है मोरा भावों का