Wednesday, January 9, 2013

मेरे दुश्मन

मैं एक सैनिक हूँ, करता हूँ देश रक्षा
देश सेवा के लिए रहता हूँ मैं तत्पर
जान न्योछावर मेरी देश हित में
कभी शूरवीर तो कभी शहीद हूँ मैं

करता हर पल मैं अपना कर्म हूँ
दुश्मन का भी करता आदर हूँ
पर ललकार नहीं मुझे उसकी सहन
प्रज्वल होती उससे हृदयाग्नि प्रबल

उत्तर है मेरे पास उसके हर वार का
बन सकता हूँ मैं श्रोत विध्वंश का
कर सकता हूँ मैं तांडव मौत का
पर नहीं आता मुझे रूप प्रतारणा का

वीर हूँ मैं क्रूर नहीं अपने दुश्मन सा
नहीं करता मैं अत्याचार उसपर 
आदर करो शहीदों का यही मेरी चाह है
ना करो उनके विकृत उस्न्की मृत देह को||
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This Poem has been written with the aspect and the Ghastly act by Pak Army by crossing the LOC and killing two Indian Soldiers.  As if that was not enough, they mutilated the Bodies as if they were not Human, but Beasts.....Time for India to forget peace and show that the tolerance is far over now!!!!!

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