Thursday, November 22, 2012

पिया तोसे


पिया तोसे कैसे कहूँ, मोरा जियरा धडका जाए
मोरा तन मन में जागी तोरे प्रेम की अगन
कैसे कहूँ तोसे की ना जा बय्याँ छोड़, जियरा धडका जाए
परदेस जो चले तुम संग हमें भी ले चलना
बिन तोरे लागे सूना मोहे ये घर ये अंगना
जिया में मोरे बस तोरी बसी है आस
ना अब बुझे बिन तोरे मोरे जीवन की प्यास
मन व्याकुल हो उठे जब चले तुम परदेस
अँखियाँ तरस जाएं जब ना मिले तोरा संदेस
ना मोहे भाये जब देखूं तोहे में जाते
मन मोरा रोये और अँखियाँ से आंसूं छलके
कैसे कहूँ तोसे, ना मोहे समझ आये
बिन तोरे ये जग ना मोहे भाये
दिन बीते, बीते सारी रैना
पर बिन तोरे ना मिले मोहे अब चैना
ना भाये मोहे ऋतूअन का खेला
ना भाये मोहे पवन का झोंका
कैसे कहूँ तोसे, बिन तोरे रहूँ मैं तरसती
जैसे जान पपीहा की स्वाती की बूंदों में बसती

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