Friday, September 7, 2012

बेमुरव्वत

और भी हैं दुनिया में गम
फिर भी दिल तेरे गम में है डूबा
और भी हैं चाहतें हमारी
फिर भी हम तेरी चाहत से जुदा हैं

ना जाने कौन सी कायनात में रहते हैं
कि हर पल तेरे ही वजूद का एहसास है
ना जाने किन पलों में खोये रहते हैं
कि हर पल में तेरा ही जज्बा है

ख्वाबों ख्यालों में तेरी तस्वीर है
इन निगाहों को भी तेरी तवज्जो है
एक तू ही है इस जहाँ में ऐ बेवफा
जिसके प्यार में कातिल है ये दिल

जाने क्यों ये दिल है तुझपे फ़िदा
जाने क्यों होता है ये बेज़ार
जाने क्यों फिरता है ये बेगार
जान कर भी कि है तू बेवफा

क्यों मरता है ये तेरी कातिलाना अदाओं पर
जान कर भी कि तू है बेवफा
और भी हैं दुनिया में गम
फिर भी दिल तेरे गम में है डूबा

No comments: