Sunday, June 10, 2012

किसी के इस कदर हम हो गए

किसी के इस कदर हम हो गए 
कि खुद से ही जुदा हो गए
राह ज़िंदगी की भूल कर
खुशी और गम से दूर हो गए

आँखों में अब बस ख्वाब है उनका
ख़्वाबों में हैं उनका ही नूर
दिल मेरा हो गया उन्ही का
इश्क मुझे हो गया उन्ही से
क्या करें अब नहीं जानते हम
ख्यालों में उनके डूबें यूँ हम

बहती हवाएं, काली घटाएं
अक्स उनका ही दिखाएं
फूलों में उनकी महक सी आये
कलियों में उनकी झलक सी बन जाए
क्यों बना यूँ आलम ये सारा
चमन में है उनका ही नज़ारा

क्या करें रब्बा अब तेरा ही सहारा
कि मिल के उनसे, हम खो गए 
किसी के इस कदर हम हो गए
कि खुद से जुदा हो राह भटक गए
आँखों में अब तो उनका ही ख्वाब है 
कि ख्यालों में उनके हम डूब गए

आँचल में उनके ये आसमान सिमट गया
बाहीं में उनकी दुनिया सिमट गयी
नज़रों से उनकी ये दिल थम गया 
जुल्फों से उनकी धडकन थम गयी है 
कि ख्यालों में उनकी हम डूब गए हैं
किसी के इस कदर हम हो गए हैं

रिश्ता ये कैसा ऐ रब तुने बनाया
उनकी हंसी का हमें कायल बनाया
रूबरू ना हुए गर हम उनसे
बैचेन क्यूँ ये दिल हो रहा है
किसी के इस कदर क्यों हम हो गए हैं
ख्यालों में उनके क्यों खो गए हैं

मिलना उनसे क्या नसीबा में है लिखा
क्या साथ उनका ता उम्र मिलेगा
बता ऐ रब्बा, अंजाम इसका क्या अब होगा

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