Friday, April 27, 2012

म्हारा घर आवजो

घणी राह देखी आपरी घणी बाट जोई
कटे ढूँढू असो जग जो आपे फरमाई
ना असो जग कठे मलिए ना आप पधारो
अरे म्हारा भाई सा अठे यो रूप ना धारो

एक आप म्हारी फरमाइश सुनता जाजो
जो जग मा जी ना लागे आपरो आजसो
जो भावे ना आपरे मिजाज दोस्तां रो
एक बार, बस एक बार म्हारे घर आवजो

चोखट पे आपरी आरती सजी है
पैरां में आपरे मैं दीप जलाऊं
कड़ी या आप कदी मत तोड्जो
बस एक बार म्हारा घर आवजो

1 comment:

Unknown said...

kai vaat kai vaat kai vaat