Thursday, January 12, 2012

अभिव्यक्ति

मैं गरीब बोल रहा हूँ
और मैं विचारों से गरीब हूँ
मेरी गरीबी पैसों से नहीं
मेरे अव्यक्त विचारों से है

बचपन में अपने मैंने
ममता की गरीबी देखी
उस  गरीबी से मेरे
ममत्व पर विचार  अव्यक्त हैं

पाठशाला में अपनी मैंने
शालीनता की गरीबी देखी
उस गरीबी से मेरे
शालीन विचार अव्यक्त हैं

महाविध्यालय में मैंने
विध्या की गरीबी देखी
उस गरीबी से मेरे 
कर्त्तव्य पर विचार अव्यक्त हैं

सत्ता की दौड में मैंने
संहिता की गरीबी देखी
उस गरीबी से मेरी
सरकारी तंत्र पर निष्ठा........
.........अव्यक्त है !!!!!

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