Friday, January 20, 2012

निवेदन

जीवन में ये स्थिरता ये ठहराव क्यों है
क्यों लगता है कि कुछ कम है
तेरे आने से पहले जो ना था
तेरे आने के बाद आज सब है

यदि आज कुछ कहीं कम है  
तो है तेरे आलिंगन की अनुभूती
है  वो मधुर मध्धम वाणी के बोल
कम है आज समय तेरे साथ बिताने को

ज्ञात है मुझे तेरी हर असंतुष्टी
ज्ञात है मुझे तेरा हर कष्ट
पर मैं कर सकता हूँ केवल निवेदन
कि रख तू थोडा और संयम

कुछ परिस्तिथीयाँ तो कुछ भाग्य
नहीं मेरे नियंत्रण में
एक कठपुतली हूँ आज मैं
जीवन के इस नाट्य में

कुछ कर सकता हूँ मैं आज यदि
तो कर सकता हूँ केवल निवेदन
लगा अभिलाषाओं पर आज अंकुश
समय बलवान है ना कर तू .....
.................प्रतिस्पर्धा इससे

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