Wednesday, December 7, 2011

प्रत्युत्तर


शाख से टूटे गर तुम पत्ते नहीं
तो तुम्हे टहनी कि गरिमा का गुमान तो होगा
पेड जो तुम्हें पैदा करता है
उसपर कुल्हाड़ी के निशाँ का गुमान तो होगा

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