Wednesday, July 27, 2011

जिंदगी

गुनगुनाती सी कुछ यूँ आई मेरे सपनो में
उसकी वो चहल कर गई घर इस दिल में
सोचते हैं कि गर वो चली गयी जिंदगी से
किन मायूस लम्हों से गुज़रेगी बेराग जिंदगी

कि उसके ख्वाबों खयालों में खेली ये जिंदगी
बिन उसके बीते यूँ इसके उदास पल राहे तन्हाई में
तकल्लुफ बड़े उठाये यूँ बेपनाह मोहब्बत कर
कि हमें सिला कुछ ऐसा मिला तन्हा जिंदगी में

दर्द-ऐ-दिल को मिले हैं लफ्जात आज इस कदर
न रोको इन्हें कि बेज़ुबां न फिर कभी कह सकेगा
रुक सी गयी है काएनात आज कुछ इस कदर
सोच कर कि कब तेरा दीदार नसीब होगा

कि उसके ख्वाबों खयालों में खेली ये जिंदगी
किन मायूस लम्हों से गुज़रेगी बेराग जिंदगी
कि हमें सिला कुछ ऐसा मिला तन्हा जिंदगी में
सोच कर कि कब तेरा दीदार नसीब होगा

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