Saturday, December 31, 2011

Ghost of Time & You

Going around the ghost of time
When I hear the wind chime
I feel it's a shame & crime
When we shy from the shine

Walk on the path of life
Without the fear of knife
Don't shy from challenges
Don't give into the mirages

Walk with a varied pace
Holding a smile on your face
You should become a craze
To be followed on life's maze

Going around the ghost of time
When I hear the wind chime
It should mark your presence
In my memory that's the essence

Walk with your head up tight
Walk with confidence up on might
You gonna make it happen
Don't let your spirits dampen

Friday, December 30, 2011

राहगीर तू चला चल

समय के साथ राहगीर तू चलाचल
अडचने बहुत आएंगी जीवन में
लेकिन तू थाम अपनी दांडी
राह पर चला चल बस चला चल

विजय होगी जो तेरी, तेरी ही है हार
हवा के झोंके सा बस पतझड़ का लगा अम्बार
जीवन है एक कठिन परीक्षा का नाम
लेकिन तू बस चला चल बस चला चल

Thursday, December 29, 2011

गुजारिश - ऐ - बंदगी

एक  अरसा हुआ कि हमारी एक अज़ीज़ दोस्त ने कुछ लफ्जात लिखे और हम उन्हें पढ़ ग़मगीन हो उठे थे....

लेकिन आज जब फिर पढ़ा उनका वो कलाम, तो दिल से निकले कुछ लफ्ज़, ये कलाम है उस दोस्त को सलाम और है उनको हमारा एक पैगाम....

गम का खजाना अंखियों में छुपा बैठे हो
इस जग में अपनी खुशी लुटा बैठे हो
क्यों करते हो गिला ऐसा
कि दामन में रंज-ओ-गम लिए बैठे हो
दुखियार न बन इस दुनिया में इतना
कि जीना दुश्वार ना हो जाए
ज़ख्मों को इतना न कुरेद तू
कि ज़ख्म नासूर न बन जाएँ
जीना है गर दुनिया में तो
सर उठा कर जी ऐ राही
न कर तू हिसाब ग़मों का
कि खुदाई बेजार ना हो जाए
है वक़्त गवाह तेरा है तारीख नज़र
खुशियाँ हैं छुपी दामन में तेरे
ना यूँ आँखों से अपनी खून बहा
कि  खुदा का सर भी झुक जाए
ऐ बंदे उठ देख एक नज़र
खुशियों से भरा ये समां ये मंज़र
नेमत खुदा की तू देख,
देख तू उसकी बंदगी 

Monday, December 19, 2011

यादें

यादों की कश्ती में सवार जब हम बातों की पतवार से सफर की कगार पर पहुंचते हैं तो कुछ नगमें यूँ बनते हैं जैसे कुछ लम्हों पहले हमारी एक शायरा दोस्त से बातें करते हुए बने| जी हाँ बात बात में उन्होंने कुछ इस तरह कहा -

अब उदास होना भी अच्छा लगता है
किसी का पास ना होना भी अच्छा लगता है
मैं दूर रह कर भी किसी की यादों में हूँ
ये एहसास होना भी अच्छा लगता है

अब हम ठहरे कुछ इस कदर के शायर कि हमारे लाफ्जात भी थम ना सके और हमने कुछ इस कदर कहा -

कि इस एहसास में मैं अपनी जिंदगी गुजार दूं
तेरी यादों के साये में अपनी उम्र गुजार दूं
साथ तेरा गर नसीब ना हुआ तो क्या
तेरे साये में मैं अपना अक्स गुजार दूं
सोचा न था कि कभी तुझसे यूँ गुफ्तगूं होगी
तन्हाइयों में तेरी यादें साथ होगी
आज तेरे इन लफ़्ज़ों मं रात तन्हां कर दूं
तेरी इन बाहों में रूहानी सफर तय कर दूं


Wednesday, December 7, 2011

प्रत्युत्तर


शाख से टूटे गर तुम पत्ते नहीं
तो तुम्हे टहनी कि गरिमा का गुमान तो होगा
पेड जो तुम्हें पैदा करता है
उसपर कुल्हाड़ी के निशाँ का गुमान तो होगा

Sunday, December 4, 2011

सिलसिला-ऐ-मुलाक़ात


नगमों का गर कभीं कोई दर्द समझे,
गर कोई उनकी रूह को समझे,
तो एक पयाम निकलता है कुछ इस कदर,
कि कायनात में जैसे चाँद निकले बादलों में छुपकर|

कल जो हमनें कलाम लिखा था, उसपर हमें मिला हमारी हसीन शायरा का पैगाम, पैगाम में था उनका कलाम जो हमनें थोडा और पढ़ा और थोडा और उसे उनसे बात कर निखारा| तो पेशे खिदमत है नया कलाम सिर्फ आपकी नज़रों कि इनायत के लिए |


वो हंसी मुलाकात जो तुमसे हुई...
पल भर का साथ, जो बीती बात हुई...
वो जो पल अब एक अरसा हुआ
मंजिलों का सफर सिफर सा दूर हुआ ...
फासलें ये दूरियों के हैं या खयालात के ...
चिलमन ये जो हैं पथ्थर के हैं या शीशे के .
तकते हैं राह आपकी जिन शाम-ओ-सहर ..
वो पल हमारी चाहत के हैं या बंदगी के...
इन्तेज़ार ऐ इबादत है अब तो उस पल का
इन्तेहाँ-ऐ-दामन है अब तो उस पल का
जब रूबरू हो यादों की ताबीर होगी...
आपकी ग़मगीन शामों की वो आखरी मंजिल होगी...
सर्द हवाओं में हमारी बाहें आपका साहिल होगी...
जुल्फों में हमारी आपकी खुशियों कि कश्ती होगी
इल्तजा है ऐ मुसाफिर तुझसे कि गमो में न खो जाना...
मोहब्बत की राह में किसी की रूह तो तेरे साथ होगी....

मुलाक़ात

सोचा ना था इस कदर यूँ मुलाक़ात होगी
तेरी यादों में यूँ तन्हा शाम-ओ-सहर होगी
इन्तेज़ार में हाल-ऐ-दिल का क्या गिला करें
इन्तेहाँ है कि बेसब्र दिल अब भी तेरा नाम ले
यादों में तेरी यूँ शाम-ओ-सहर ग़मगीन है
कि तन्हा हम ना कभी ग़मों के साए से हुए
यादों में तेरी जो दर्द-ऐ-मुरव्वत से रूबरू हुए
सर्द हवा का झोका जो हमें छू कर निकला
तेरी बाहों में गुजरे हा पल का एहसास करा गया
यादों में तेरी यूँ शाम-ओ सहर गमगीन है
सोचा ना था इस कदर तुमसे मुलाक़ात होगी
तेरी सूरत में मुझे मेरी जिंदगी कि सांझ मिलेगी
झरोखों से उजली चांदनी मे ऐ मेरे कातिल
मुझे मेरी जिंदगी कि आखरी मंजिल मिलेगी
सोचा ना था कि ये आलम इस कदर ग़मगीन होगा
तेरी यादों में हवा के सर्द झोंके सा एहसास होगा 

Sunday, November 6, 2011

P.S. - Forget that You Knew Me

When I look around myself
What I miss the most is you
What I want the most is you
What I want to do is hug you

But when I open my eyes
You are gone by far and away
I can't see you hair that sway
I can't see the smile all my way

What I find is my solitude
All I see you at that altitude
Someplace I can't reach ever
A peak I can climb never

So high is your status in my sight
It would take forever of my might
The Best that we can do now
Is that give into Destiny and Bow

Bow to the reality and fate
Close that window & that gate
The Gate that blocks out path
To seal the the after math

What I would request with me on my Knee
Please Forget that You Knew Me





Sunday, October 23, 2011

Devil of Destiny

Destiny keeps one mesmerized
It always keep thee surprised
When thee feel things are going fine
Everything in life is up for the shine
There comes the twist and turn
Leaving behind the pain to churn

The pain that thy feel in thy soul
The twist that thy cry for foul
Cry to call it to be creator's writing
Cry to point his want for you to be writhing
Thy feel that pressure of the situation
Thy get to the height of frustration

The Devil of Destiny disturbs thy life
Thy feel the wound deep by its knife
The wound that keeps reeling
Blood oozes from it and makes thee kneeling
Thy kneel to the pressure of Destiny
Thy surrender to the fate by Destiny

Time that thee understand thy control
Time that thee put thy mind to patrol
Thee can control thy Destiny with Actions
Actions that are not part of any fictions
Thee can control thy present and future
Thee can be always positive by nature

Look up and talk to the God
Visit thy past and give it a thought
Meet thy God that reside in thy heart
Make him fill changes to thy life's cart
Thee have to act and control thy Future & Life
Thee have to play to possess Destiny's Knife

Sunday, September 11, 2011

अभिलाषा

का कहूँ छवि तिहारी, 
जित देखूं उत् दीखेई
जो मैं सोचूं नैना बंद करके, 
मन वर जोत जले
निद्रागोश में, स्वप्न में भी,
चहुँ और जो दीप जले
ना दिन में चेइना न रात में चेइना
बस चहुँ और तू ही तू दीखेई
बस कर नखरा और न कर ठिठोली
आ बना मेरे अंगना कि तू रंगोली
भर तू रंग मेरे जीवन में

हो संग तेरे जीवन का खेला
हो संग तेरे जीवन का ये मेला

Saturday, August 13, 2011

जीवन बरखा

क्यूँ करते हो ये शिकवा
कि थोडा और बरस लेने दो
जीवन की प्यास बुझने दो
मझधार में ना यूँ कश्ती छोडो
कि किनारे तक मुझे खेने दो
डूबने का डर नहीं मुझे
ना ही जीने की है तमन्ना
सोचता हूँ गर कभी
तो देखता हूँ तेरा ही सपना

हाल-ऐ-मशरूफियत

कुछ तुम मशरूफ, कुछ हम मशरूफ,
कि वक्त ना मिला यूँ गुफ्तगू का
कुछ तुम तन्हा कुछ हम तन्हा,
कि वक्त न मिला तेरे दीदार का
क्या गिला करें क्या करें शिकवा
कि हमको हमसे रूबरू होने का वक्त नहीं

कलम कि बेवफाई


दिल का दर्द कलम से उतर कागज पर बह गया
बहते बहते वो कागज़ पर एक स्याह लकीरें छोड़ गया
इन लकीरों में जिंदगी की चुभन थी
बीतें उन तन्हा लम्हों की सिमटन थी
सोचा न था कि कलम यूँ बेवफा निकलेगी
हमारे ही दर्द को हमारी आँखों के सामने रखेगी
सोचा न था हमारे शब्द यूँ बेगार होंगे
बेरूख हो दुनिया से बेजार करेंगे

अश्रुमाला

अश्रु जो बहे मेरी आँखों से
कह गए मेरे ह्रदय की गाथा
जिस पथ चले वो पी कर हाला
पिरो गए मेरी व्यथा की माला
संजों कर रख सके इसे
नहीं मिला जग में कोई
अश्रु जो बहे मेरी आँखों से
कह गए मेरे ह्रदय कि गाथा
ना तू मेरी ना ये जग मेरा
यही मेरे जीवन का फेरा
शुन्य बन गया ये जीवन सारा
भटकता हूँ बन में बंजारा
नहीं होता ज्ञात मुझे क्यों
छोड़ चली तू मुझे यूँ
छिन गयी तेरे बाँहों की माला
अर्पण  कर गयी मुझे तू अश्रु माला
अश्रु जो बहे मेरी आँखों से
कह गए मेरे ह्रदय कि गाथा



हाल-ऐ-दिल

हाल-ऐ-दिल कुछ यूँ बेसब्र हुआ
कि तन्हाई में कुछ यूँ बेजार हुआ
लौट आई कुछ यादें पुरानी
याद आई वो देफवाई तुम्हारी
होकर रह गई है सिफर सी जिंदगी
नहीं आसाँ इश्क की बंदगी
भूलना चाह कर भी भूल ना पाए
कुछ यूँ कौत के आये मिहब्बत के साये
तिस सी उभर आयी कुछ यूँ सर्द
महसूस हुआ कुछ मुझे जुदाई का दर्द
एहसास है हमें तुम्हे खोने का
दर्द है हमें तुमसे ता जिंदगी जुदा रहने का
चाह कर भी तुम्हें पा ना सकेंगे
तुम खुश रही यही खुदा से दुआ करेंगे

Wednesday, July 27, 2011

जिंदगी

गुनगुनाती सी कुछ यूँ आई मेरे सपनो में
उसकी वो चहल कर गई घर इस दिल में
सोचते हैं कि गर वो चली गयी जिंदगी से
किन मायूस लम्हों से गुज़रेगी बेराग जिंदगी

कि उसके ख्वाबों खयालों में खेली ये जिंदगी
बिन उसके बीते यूँ इसके उदास पल राहे तन्हाई में
तकल्लुफ बड़े उठाये यूँ बेपनाह मोहब्बत कर
कि हमें सिला कुछ ऐसा मिला तन्हा जिंदगी में

दर्द-ऐ-दिल को मिले हैं लफ्जात आज इस कदर
न रोको इन्हें कि बेज़ुबां न फिर कभी कह सकेगा
रुक सी गयी है काएनात आज कुछ इस कदर
सोच कर कि कब तेरा दीदार नसीब होगा

कि उसके ख्वाबों खयालों में खेली ये जिंदगी
किन मायूस लम्हों से गुज़रेगी बेराग जिंदगी
कि हमें सिला कुछ ऐसा मिला तन्हा जिंदगी में
सोच कर कि कब तेरा दीदार नसीब होगा

Wednesday, July 13, 2011

Once Upon a Time

Once upon a time, someone was in love
Once upon a time, someone believe in love
Once upon a time, someone war hurt in love
Once upon a time, someone lost all in love

Now at present, someone is trying to stabilize
Now at present, someone is trying to energize
Stabilize the state of mind, energize the thoughts
Trying to collect the pieces of the earthen pots

The earthen pot that was filled with love once
The earthen pot that was his lost chance
The pot that depicted his shattered mind
The pot that depicted no mercy no kind

Sunday, June 19, 2011

आलम-ऐ-मोहब्बत

आँखों के नशेमन से से जाम पिलाना चाहते हो
होठों से अपने जो पैगाम देना चाहते हो
दुनिया से बचाकर जो जुल्फों में घेरना चाहते हो
आज हिज्र के आलम में ये रुख किये जाते हो

बेसब्र क्यूँ हो इतना तन्हाई के डर से
क्यूँ थम जाते हैं कदम तुम्हारे खुदा के दर पे
क्या है जो यूँ इल्तेजा बेहिसाब किये जाते हो
ना चाहते हुए भी उनको रुसवा किये जाते हो
क्या दिल में कोई दर्द बसर करता है
क्या लफ्जों को हया का पर्दा कसता है
क्यों बयां नहीं करते हाल-ऐ-दिल का
ये दिल तो उन्ही से मोहब्बत करता है

Saturday, June 18, 2011

Few AD Jingles I would Love to See - Part IV

Nike - Just put it on
Power - The Joggers need one
Puma - Doesn't eat you
Adidas - Makes you feel like Grass
Reebok - When you wear it you Rock
Aerosoles - Fells as if u have a gliding Soul
Skechers - Sketch your feet while you walk
Calvin Klein - Walk in Terrain or on Plain
Clarks - Won't hear a sound in the Park
Bata - Tell your worries to take a Walk

Friday, June 17, 2011

Pa

When I recall the days bygone
When I look at the era bygone
It all reminds me of the time
When there was no rhyme
 I used to be scared always
My feelings found no ways
Though felt loved & protected
Still the feelings were dissected

I had no ways to tell you
I love and respect you
I still feel the your anger
I still feel that dagger

Though I want to hear you
Though I want to tell you
But there is no way to say
What I wanted to say till day

Why is your behavior scattered
Why it make one feel shattered
Why can't you take me in arms
Why can't you get me the calms

With you showing your anger
I always sense some danger
I want to say I love you
My Pa the I respect you

I want you to be my support
I want to build that rapport
I want you to hold me hand
I want you to lead me on sea & land


Thursday, June 16, 2011

नज़र

नज़र ना झुका कि इनमें मेरा अक्स नज़र आता है
कि नज़र ना चुरा इनमें मेरा इश्क नज़र आता है
यूँ बेदर्द ना बन कि तेरी जुदाई मार ना डाले
कि जुदाई के दर्द में सिरहन उभर आती है



Wednesday, June 15, 2011

अश्रुधारा

जब ह्रदय में हो पीड़ा
जब मन में हो घृणा
दिखे  हर और जब अंधियारा
बहती है नैनों से अश्रुधारा

नहीं हो काबू जब क्रोध पर
कठिन लगे जब राह हर
कठोर हो अपने जैसे है धरा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

विचारों का हो जब अतिक्रमण
करे जब मष्तिष्क अत्यधिक भ्रमण
ना दिखे जीवन में कोई और चारा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

बहती बहुत है नैनो से अश्रुधारा
कि ना लगे जग न्यारा
ना लगे जीवन फिर प्यारा
ना रहे कोई दुलारा

अश्रुधारा को तुम रोक सकोगे
जीवन  को भी भोग सकोगे
अगर त्याग कर सको आशाएं
अगर दूर कर सको ये बाधाएं

Sunday, June 12, 2011

Few AD Jingles I would Love to See - Part III

  1. Amul Butter - Needs No Cutter, Spread it, Lick it and Eat it
  2. Tata Safari Dicor - Compacte Power of 407
  3. Toyota - I Love when you Buy me from Dealer
  4. Mitsubishi - Its Technically Possible Except Sales
  5. Philips - Let's Make it Look Brighter
  6. Citibank - Because Citi Never wants you to Sleep
  7. Kentucky Fried Chicken - Lick it Before You Eat it
  8. BMW - The Ultimate Expensive Machine
  9. ONGC - Making Tomorrow Costlier and Dearer
  10. Honda - The Power in the Cream

Friday, June 10, 2011

The Rain

With the sound of thunder
It is the drop of water
Making the melodious music
By wetting the eartern mosaic

I woke up to the music this morning
Not expeting the heat so scorching
The rays of sun won't be burning
It would be comfortable than chilling

It such a nice and awesome feeling
To wake up to rain all smiling
It makes the face to glow
Expecting the day a bit slow

The thing for am now waiting
Is there going to be a meeting
With these tiny drop give way
To a shower heavy to say

I would love if it would drizzle
As it would drench each pebble
I love the slow and calm rain
As water seeps in earth not drain

God make it rain rain rain
I am willing to miss my train!!!!!!

Thursday, June 9, 2011

Few AD Jingles I would Love to See - Part II

  1. Vodafone - Wherever you go, our Billing Follows
  2. iPhone - Communicate using your Finger
  3. Blackberry - The Tasteless Berry to Communicate
  4. Airtel - We Ensure Communication Even if it is Cross-Connection
  5. Reliance - Bhar lo Katori Muththi mein
  6. Samsung -What is Next, Hang or Reboot?
  7. Idea - If you get an Idea, Pass it on
  8. BSNL - Key to Locate Your Identity
  9. NDNC - New Disturbing Network Caller
  10. Nokia - Latch on to get Support to use it

Twilight of Life

Why is life a puzzle unsolved
Why is life mysteriously unresolved
Why is life seriousness uncured
Why is life labyrinth uncrossed

Why is life so complicated
Why is life so precipitated
Why is life not as simple
Why is life not as noble

Why is there always a twilight
Why is there no correct sight
Why there is so much to fight
Why there is not always right

Life can be as simple for child
Life can be soothing and mild
Why one has to be a knight
To face the Twilight and Fight


Wednesday, June 8, 2011

The wait

Today I got up with a smile
I guess for I walked the mile
Now it only the wait
To have an open gate
The case seems to be resolved
My fate seems to be evolved
its now time to sort things out
As its time to get ready for life's bout

:-)

Monday, June 6, 2011

नासूर

आज वो गुज़ारा ज़माना याद आता है
हर एक बिता पल याद आता है
जिंदगी ने दिया जो ज़ख्म
वो नासूर बन उभर आता है
क्या खता थी मेरी ऐ खुदा
कि मने जिंदगी से ये सिला पाया है
ना कोई रंज न कोई गिला कर सकते हैं
कि दिल-ऐ-नासूर इतना गहरा पाया है

Sunday, June 5, 2011

Few AD Jingles I would Love to See

  1. Amul Cool - Drink it You Fool
  2. Bajaj Pulsar - Test Your Adrenalin Pulse
  3. Honda Hunk - Everything Rest is Just Junk
  4. Thumps Up - Down it with Bottoms Up
  5. Garnier - Don't Use if You Love your Hair
  6. Hyundai i10 - I wish it read "I Can"
  7. Maruti Alto - Iska Nut Bolt Khol Do
  8. Dell - Keep it Aside and Ring Neighbor's Bell
  9. Feviquick - The Gum that You would Never like to Lick
  10. IDBI Bank - Haathi Mera Saathi
Well there could be more, but I guess I would wait to see what you have to add on :)

Wednesday, June 1, 2011

तलाश-ऐ-अक्स

ज़िन्दगी में अपना अक्स खोजता हूँ
रात--सहर आइना देखता हूँ
वक्त का दरिया है की थमता नहीं
उम्र का आँचल है की रुकता नहीं

सोचता हूँ यूँही अक्सर
सुलझाता नहीं क्यों ये भंवर
मझधार में ना जाने क्यूँ
तलाशता हूँ मैं हमसफ़र

ज़िन्दगी में ना जाने क्यूँ
खत्म सी नहीं होती तलाश
कि मौत कि और बढते हुए
खोजता हूँ ज़िन्दगी के माने

इल्तेजा

शाम--गम को रंगीन करके ख्वाबों में तेरे खोए रहते हैं
गर भूले से आओ सामने तुम तो ख्वाब समझ कर सोये रहते हैं
जुल्फों के साए में छुपा लो तुम कि जिंदगी से रुसवा हुए जाते हैं
यादों में बसा लो आज हमें कि बाँहों में बेदम हुए जाते हैं
रुख ना मोडो इस कदर बेरूख होकर ऐ जान-ऐ-वफ़ा
कि तेरे जाने से जिंदगी बेजार हुए जाती है

Tuesday, May 31, 2011

Future Why are you Suddenly Dark



Sitting with my Soul
I was crying it foul
Becacuse I dunno why
Today I am too shy

I am shy for my future
That my Past has to nurture
But the future is not showing
Its all dark not glowing

What mistake I made
If you tell I would be glade
I asked my own life
Why showing me the knife

Life came with own explanations
Full of various esclamations
But still failed to mark
Why my future seems to be Dark

Man Maketh the World?

I saw in the news a feature
About a small living creature;
Killed it was, without any cause,
Without a thought about its loss.

Then I saw a documentary
And heard the full commentary
About man and his cruelty,
Destroying things, not knowing their utility.

It came to me in a sudden flash,
That all man does is to clash;
When he can be a cannibal,
Why can’t he kill a poor animal!

One day in order to quench his thirst,
Would he be draining away the ocean?
Upto the level of the crust,
Would he be snatching away life portion?

Nothing would be left then,
This world, a dessert barren,
This is not for what we strive,
Not this for what we crave.

This day, let us take a vow
Into Mother Nature shall we sow
The roots of an atmosphere serene
Revitalizing the environment green.

Words spoken from your mouth cannot be taken back;
If you can’t, don’t give; but take not life of others.


By Vaibhav Bhandari

Ocean of Love

Those eyes mesmerize me
Those eyes surprise me
When I look in those eyes
The time just seizes to fly

Those are the pair of eyes
That make my heart skip a beat
Those are the pair of eyes
Looking in which is a visual treat

When I look in those eyes
I see an Ocean of Love
I feel as if she is my Dove
And the time seizes to fly

Monday, May 30, 2011

When I wanted to Say "I Love You"

I was speechless
had no words
my breath went nill
my heartbeat was still

it all happened to me
when I went on my knee
to propose to my beloved
and to say I love you

When I went home
went under the holy dome
thought a lot for why
why was my tongue dry

Thought a lot why
looked up at the sky
went on a round
to know why


But there was a blind
not the one that was kind
I was all but clear
to get pretty near

I don't know why it happened me
when I was down my knee
to express my love to thee
to propose my to be



पथ्थर

टूटना तो आइने की किस्मत है
आपकी खूबसूरती कि ये एक खिदमत है
सोचता हूँ इस मोड पर आकर
क्यूँ ना आपसे ये सवाल करूँ
कि कहीं किसी मुकाम पर
क्या कभी किसी पथ्थर को तराशा है
यूँ देखिये कि शीशे की मूरत नहीं बनती
पथ्थर तराश इंसान इबादत करते हैं

Friday, May 27, 2011

Shadow

Last Night I looked from the window
I saw a lean and pretty shadow
The Silhouette stood so tall
I could see the writing on the wall

When I took a closure look
It turned to be leaf from life’s book
I was a little afraid to read it
For I was scared to fall in the pit

I had been there and done that
Now was a time to bell the cat
I had to learn from a Sage
To avoid the Nest and Cage

But there was no control on the Heart
For the aim of the looks was on Dart
I decided to play by the hook
Not letting the life be the crook

Last Night I looked from the window
I saw a lean and pretty shadow
It stood so tall in the meadow
The figure made me to bow

I fell in love for it was so nice
I was ready to pay any price
To make it a reality of life
To propose her to be my wife

Thursday, May 26, 2011

मोहब्बत का परवाना


हमने दो लफ्ज क्या कहे इश्क पर
कि दुनिया ने हमें यूँ सुनाया
न हम सोच सके कि क्या है खता हमारी
कि काँटों से हमारी सेज को सजाया
ना जानते थे कि वो लफ्ज हमारे
करेंगे हमें इस कदर रुसवा
कि बेआबरू कर हमें
यूँ जार जार करेगी दुनिया
कैसे कहें उनसे हम अपनी कहानी
कैसे बयां करें हाल-ऐ-जिंदगानी
क्या कहें कि क्या दर्द है इस दिल में
कि कैसे नासूर है दबे इस दिल में
कैसे हमनें संभाला है इस बेजुबान को
जब इसनें इश्क का कलमा पढ़ा
कैसे उबारा हमनें इस दिल को
जब इसनें मोहब्बत के दरिया में डूबना चाहा
कैसे थामा हमनें इस दिल को
जब इसनें प्यार का इकरार किया
कैसे सवानरी है हमनें ये जिंदगी
जब इस जिंदगी नें हमें खाकसार किया
ना समझों हमें इश्क की गलियों में नादाँ
कि हमारे ही आंसुओं ने इस गली को आबाद किया
कि हमारे दिल ने डूब दरिया में गहराई को नापा है
कि हमारे दिल ने दर्द के समंदर का तूफ़ान देखा है
खुशी तो इसनें छोड़ दी थी दोस्त की चाहत में
रांझे से ज्यादा इसनें इस जमीन पे प्यार फेंका है
फिर भी ये दिल न पागल हुआ न दीवाना
ये तो बना मोहब्बत कि शमा पर कुर्बान एक परवाना

Sunday, May 22, 2011

Compilation of few Words as Exchanged

Just a few minutes back, I wrote a Poem for which the catalyst was another post that I read. The post is written by a beautiful and sweet friend of mine. And she is the one who writes few words here and there to act as catalyst for my brain to generate the thoughts and give shape to the poems that I have been posting off recently.  And let me give her Due Credit for being the Source of Inspiration for me.

There had been few exchanges that we often have with each other and they can be well collated as one nice Lyrics.  Here I am putting them up for the wider Audience to enjoy the creativity -
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कि पंक्तियाँ कुछ यूँ लिखी हैं की रोक नहीं पाओगे
कुछ यूँ लिखी है की बंद किताब सी पढ़ नहीं पाओगे

सुनना चाहेंगे हम कुछ आपकी ही जुबां से
कि नाम आँखों से हम यूँ ही नहीं पढ़ पाएंगे

जुबां हमारी से क्या सुनिएगा ऐ हुज़ूर
ये तो सिर्फ आरज़ू बयां करती हैं
ध्यान इस बात का कीजिएगा
कि ये तो सिर्फ हया अर्ज करती हैं

जुबां से वही कहिये ऐ शब्दों के मालिक
वो शब्द जो ये दिल-ऐ-नादाँ समझना चाहे
कि हम यूँ शब्दों को नहीं सुनते ऐ जानिब
हम तो धडकनों की आहट सुन लिया करते हैं

धड़कने हमारी आह पर भी हाल-ऐ दिल बयां नहीं करती
ऐ राहगुजर ये फकीर का दिल है किसी शायर की कलम नहीं

दिल फकीर का हो या शायर का, ज़ज्बात तो दोनों में होते हैं
कुछ जुबां से कहें कुछ आँखों से, कि कुछ दिल में छुपाए बैठे हैं

शायर का दिल तो ज़ज्बातों से मौसिकी को राह दिखता है
और दिल फकीर का खुदा की इबादत में डूबा जाता है
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I hope this compilation would make a good creative reading...signing out with the hope to hear from all who read it....

Last night when it rained

Last night when it rained
I had all but one in my sight
When I looked around
It rubbed salt to the wound
When it rained last night
I had all but one in sight
Walking through the shades
I remembered thy's escapades
The one to bring smile
The one as deep as nile
Last night walking in the rain
I had in my heart some pain
The pain of losing someone
The pain of missing someone
Last night when it rained
It was the darkness I gained
I am still perturbed
I am a lot disturbed
Trying a lot to unthink
The charisma of thy's pink
Last night when it rained
I think I should have turned a Saint

खुशी - खुदा की नेमत

खुशी ना ढूंढ तू अपनी किसी तमन्ना में
कि दर्द ही मिलता है इस गली जाने से
ना कर तू रोशनाई को इस कदर परेशाँ
कि हो जाए स्याह ये खून तेरे जिगर का
खुशी ढूंढनी है गर तुझे कहीं ऐ बंदे
तो जा तू खुदा के घर उसकी इबादत में
खुशी गर तुझे मिलनी है कहीं ऐ बंदे
तो जा तो उस परवरदिगार के आलम में
ना ढूंढ खुशी किसी और के दमन में
कि छुपी है ये तेरे अपने ही आँगन में
उठ, जाग और बढ़ा अपने कदम
कर इबादत खुदा की, पा उसकी नेमत

Tuesday, May 17, 2011

आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा
ख्वाबों को भी कुछ इस कदर सजाना
की आँखों की राह ना टूटे दिल का अफसाना 

ऐ राहगुजर, राहगीर में ना ढूंढ हमसफ़र
कि राह से यूँ  बेगार बेवजह ना गुजर
जीना मरना तो इस कायनात का खेल है
इसे तू अपनी आह से ना जोड़ राहगुजर
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
कि हर राहगुजर तेरे ही आशियाँ को ताके
तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना
ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा

घरोंदा

रे मनवा न सुन तू इस जग की
बना घरोंदा बुन इन तिनको को
नहीं व्यर्थ होगा परिश्रम तेरा
नहीं कोई इसमें समय का फेरा

प्रेम न तू अपने स्वप्न से कर
कि स्वप्न तो आते हैं अंधियारे में
रे  मनवा बना घरोंदा तू तिनकों से
और पा फल तू अपने परिश्रम से


भटक न होकर निराश हार से
कि पथरीला अत्यंत ये पथ तेरा
होना न निराश स्वप्ना बिखरने से
कि है बहुत संघर्ष इस जीवन में

ध्यान रख रे मनवा तू इस बात का
कि ना जग झूठा न स्वप्ना तेरा
रे मनवा बना घरोंदा अपना तिनको से
कि पथ से उठ पथ्थर उसका रखवाला बने

Saturday, April 30, 2011

बेपरवाह

यादें गर खामोश कर जाती तो न होता ये दिल बेचैन
ना होते रूबरू इस कदर गम-ऐ-जिंदगी से
शामों तन्हाई ना करती इस कदर गुफ्तगूं
ना  होती जिंदगी में गहरी ज़ुत्सजु

वादे उनके यूँ बेसब्र ना कर जाते
गर बातों में उनकी शान-ऐ-वफ़ा ना होती
बातें उनकी जो आती है याद तुम्हें
साबित  कर जाती हैं ईमान उनका

कुछ थे वो मजबूर, कुछ थी उनकी मजबूरी
ना थे झूठे उनके वादे, ना थी खोखली उनकी बातें
कुछ गर ना कह गए होते वो तुमसे

यूँ खामोश ना होती तुम्हारी तन्हाई

शायद सुन न सके तुम कहीं उस दिल कि धडकन
ना सुन सके तुम उनके होठों कि थिरकन
दिल में जो उनके कसक उठी
वही यादें तुम्हें खामोश तन्हाई दे बैठी

उठ ऐ राहगुजर पहचान अक्स अपना जिंदगी के आईने में
संभाल अपने दिल को जिसमें है उठा यादों का सैलाब
ठहर, संभल और कर ध्यान उस खुदा का
जिंदगी में हर मोड पर जिसने तेरा साथ दिया

Thursday, April 28, 2011

मौसम-ऐ-जज़्बात

मौसम  तो है वही पुराना लौट आई पुरवाई भी
ना जाने क्यूँ लगता है की हो तन्हाई और वो नहीं
सोचने पर हम मजबूर हुए, पूछा हमने खुदा से भी
समझ न सके ये दुरियाँ, यादों के साये में भी

इन्तहा लगती ये आरज़ू-ऐ-इश्क की है
कि आरज़ू की है ये जूत्सजू 
ये दिल डूबा किन गहरे जज्बातों में
कि दिल से गहरे जज़्बात हैं क्या

जुबां पे यूँ उतर दर्द सा है हैं शब्द भी कुछ सर्द से ही
आज  पुराना मौसम लौटा, लौट आई पुरवाई भी
मन में मेरे यूँ हलचल हुई, आँखें भी पथराई सी
हुआ कुछ एहसास यूँ की हो तन्हाई और वो नहीं

Monday, March 7, 2011

The Poetic Communication

What a friend wrote -
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Well I’ve been saved by the grace of Southern charm
I got a mouth like a sailor and yours is more like a Hallmark card
And if you wanna pick a fight
Well I’m gonna have to say goodnight
I don’t have to be hateful, I can just say bless your heart...
...I’ll keep drinkin’
And you’ll keep gettin’ skinnier
I’m just like you
Only prettier
And here is what I replied -
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awesome and interesting are your lines
trying to now mix them up with mine
live on the edge to survive
the clock tick tells me its gonna be five...
if you wanna drink, drink water
it would keep your senses together
if its time to bid goodnight
I would prefer you to be in the sight
live on the edge to survive
the clock tick tells me its gonna be five
sit and chat is for the moment right
not the time that I would like to say goodnight

Sunday, March 6, 2011

आँखों की ये भाषा

शब्दों के मर्म को समझो यही किताबों की भाषा
आँखों के भाव को समझो यही उनकी अभिलाषा
जानना किसीको नहीं है इतना कठीन
चेहरा उनका सब बोलता है आँखों के अधीन
लिखता नहीं मैं यूँ ही ये पंक्तियाँ
इनमें ही में भाव व्यक्त करता
शब्दों को जो तुम पढते, समझो उनके मर्म को
आँखों में जो तुम देखते, समझो उनके कर्म को

आँखें


कि हया शर्म लाज लज्जा है तो इन आँखों में
पर कहीं गहराई में छुपी है किसी कि खामोशी
दुनिया को दिखती है सिर्फ इनकी मासूमियत
कि छिपी है कहीं इनमें कोई सच्चाई
है तो कुछ गहराई इन आँखों में
कि दिल का दर्द इनमें सिमट आता है
कुछ तो है इन आँखों में
कि होठों कि मुस्कान तक दबा जाता है

काफिर

कौन कमबख्त कहता है तुझे काफिर
गर बात मेरी करते हो ऐ जानिब
तो जानो कि मैंने खुदाई को रुसवा किया है 
अक्स पे मैंने खून-ऐ-रोशनाई से ज़िक्र किया है
कि इबादत हम खुदा की क्या करें 
जब खुदा ने ही ज़ख्म बेमिसाल दिया है
कि आलम कुछ इस क़द्र है बेसब्र खुदा का
ना वो मुझे जन्नत ना जहन्नुम दे सकता है
कौन कमबख्त कहता है तुझे काफिर
कि हश्र मेरा देख, मुझे तो दोज़ख नसीब ना हुआ

Saturday, February 26, 2011

जिंदगी अक्स में गर गुजरती

गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजा
गर कुछ गुनगुनाना है तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
कि ये सफर नहीं किसी सिफार कि कगार का
जानिब ये है अक्स तेरी ही शक्शियत का
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि राह में थक कर मंजीलें नहीं मिलती
समझ बस इतना लीजे ऐ खुदा के बंदे
कि यादों में तो गैर बसा करते हैं
जा तू अपनों के दिल में बसर कर
जिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़र
कि गुनगुनाना है कुछ तो जिंदगी के नगमें गुनगुना
गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजा